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अनुराग ठाकुर

केंद्र ने दिया किसानों को फसल के उचित मूल्य का उपहार

केंद्र ने दिया किसानों को फसल के उचित मूल्य का उपहार

आज सरकार ने किसानों को दिवाली का गिफ्ट देते हुए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी का ऐलान किया है। इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया के साथ साझा की। अनुराग ठाकुर ने बताया कि सरकार ने रबी की 6 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 3 से लेकर 9 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी की है। नई फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी जारी कर दिया गया है। अनुराग ठाकुर ने बताया कि गेहूं की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 110 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई है, जिसके बाद अब गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2125 रूपये प्रति क्विंटल हो गया है। इसी प्रकार से जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी 100 रुपये की वृद्धि की गई है। वृद्धि के बाद अब जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1635 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 1735 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। इन फसलों के साथ ही चने के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 105 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। अब चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5230 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 5335 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। चौथी फसल है मसूर, जिसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई है। मसूर के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 500 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है, जिसके बाद अब मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5500 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 6,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।


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इस लिस्ट में पांचवां नाम है सरसों का, जिसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में 400 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। अब न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से सरसों 5050 रुपये प्रति क्विंटल की जगह 5450 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिकेगा। सरसों के साथ ही सूरजमुखी के दाम में 209 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई है। अब सूरजमुखी 5,441 रुपये प्रति क्विंटल की जगह पर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिकेगा। इसके पहले खरीफ के सीजन को देखते हुए सरकार ने खरीफ की फसलों में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का ऐलान किया था। जिसके कारण सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य का बजट बढ़कर 1 लाख 26 हजार करोड़ रुपये हो गया था। खरीफ की फसल में सरकार ने 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की थी। केंद्र सरकार ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की थी। जिसके बाद धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,040 रुपये प्रति क्विंटल हो गया था। धान के साथ ही तिल, तुअर और उड़द जैसी फसलों में भी 300 से लेकर 500 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई थी। अगर हम पिछले साल की रबी फसलों की बात करें तो पिछले साल भी सरकार ने सरसों और मसूर में सबसे ज्यादा 400-400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की थी। इनके अलावा गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों और सूरजमुखी के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की गई थी। पिछले साल सबसे कम बढ़ोत्तरी जौ के समर्थन मूल्य में की गई थी। यह मात्र 35 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी थी। पिछले साल जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1635 रुपये प्रति क्विंटल था। जौ के साथ चने के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 130 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई थी।
पैक्स और डेयरी से जुड़े सरकार के इस फैसले से सीधे तौर पर बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी

पैक्स और डेयरी से जुड़े सरकार के इस फैसले से सीधे तौर पर बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी

हाल ही में केंद्रीय मंत्री द्वारा दिए गए बयान से यह बात सामने आई है कि भारत में सरकार सहकारिता आंदोलन को और अधिक मजबूती देने के लिए कार्य कर रही है. सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर इसे मजबूत बनाने के लिए कई तरह की सहकारी समितियों का निर्माण किया जाएगा. खबरों की मानें तो देश में एक बार फिर से सहकारिता आंदोलन जोर पकड़ने वाला है. केंद्र सरकार भी इसे लेकर बड़े लेवल पर काम कर रही है. इसके तहत अगले 5 साल में 2 लाख प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स; PACS), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा गठित की जाएगी. इस सभी कार्य को लेकर केंद्र सरकार ने प्रस्ताव को पूरी तरह से मंजूरी दे दी है. हाल ही में हमारे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक मंत्रिमंडलीय बैठक में इस फैसले की जानकारी जनता को दी है.  अभी भी पूरे देश में लगभग  63,000 पैक्स समितियां कार्य कर रही है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा दी गई जानकारी से पता चला है कि देश में सहकारिता आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए आने वाले समय में कई तरह की समितियों का गठन किया जाएगा.

जलाशय पंचायत में बनाई जाएंगी मत्स्य पालन समिति

इस योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में पैक्स समिति  तो बनाई ही जाएगी इसके अलावा सभी पंचायत जहां जलाशय है वहां पर मत्स्य पालन समिति बनाने की योजना भी बनाई जा रही है. अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक में यह जानकारी दी है कि इस योजना के प्रस्ताव को हाल ही में चल रही बाकी सभी सरकारी योजनाओं के साथ मेल मिलाप करते हुए लागू किया जाएगा. यह  सहकारी समितियां योजना को एक जरूरी और आधारभूत ढांचा बनाने में मदद करेगी और आगे चलकर यह इस योजना को एक सशक्त रूप देने में भी काफी सहायक साबित होगी. ये भी पढ़े: जानिये PMMSY में मछली पालन से कैसे मिले लाभ ही लाभ

कंप्यूटरीकरण के लिए रखा गया है बजट

इस योजना के तहत जो भी किसान सहकारी समिति के सदस्य बनते हैं उन्हें खरीद और विपणन जैसी सुविधाएं सरकार द्वारा दी जाएंगी जो उनकी आमदनी बढ़ाने में सीधे तौर पर मदद करेगी.इन सभी योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे जो वहां के लोगों के लिए काफी लाभकारी साबित होने वाले हैं.केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी आर्थिक मामलों से जुड़ी हुई समिति के साथ मिलकर इन सभी पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण करने की बात भी कही है. अगर यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल हो जाती है तो ना सिर्फ कामकाज में पारदर्शिता आएगी बल्कि सभी जुड़े हुए व्यक्ति सही तौर पर जवाबदेह होकर अपना काम कर सकते हैं.हाल ही में देश भर में एक्टिव करीब 63,000 पैक्स समितियों के कंप्यूटरीकरण के लिए 2,516 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है और इसमें से केंद्र की हिस्सेदारी लगभग 1,528 करोड़ रुपये की  मानी जा रही है..
केंद्र सरकार ने अन्न भंडारण योजना को मंजूरी दी, हर एक ब्लॉक में बनेगा गोदाम

केंद्र सरकार ने अन्न भंडारण योजना को मंजूरी दी, हर एक ब्लॉक में बनेगा गोदाम

केंद्र सरकार की तरफ से भारत के अंदर बढ़ती अन्न की बर्बादी को ध्यान में रखते हुए। अन्न भंडारण योजना को स्वीकृति दी है। इस योजना के अंतर्गत देश के प्रत्येक ब्लॉक में गोदाम निर्मित किए जाएंगे। भारत में अन्न की बर्बादी ना हो इसको लेके केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार की ओर से अन्न भंडारण योजना को स्वीकृति दे दी गई है। जिसके अंतर्गत हर एक ब्लॉक में 2 हजार टन के गोदाम स्थापित किए जाएंगे। इस व्यवस्था को शुरू करने के लिए त्रिस्तरीय प्रबंध किए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य अन्न की बर्बादी को रोकना है। बतादें, कि फिलहाल भारत में अन्न भंडारण की कुल क्षमता 47 प्रतिशत है। परंतु, केंद्र सरकार की इस योजना से अन्न भंडारण में तीव्रता आएगी। कैबिनेट की बैठक खत्म हो जाने के उपरांत केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना है, कि सहकारिता मंत्री के नेतृत्व में समिति बनाई जाएगी। योजना की शुरुआत 700 टन अन्न भंडारण के साथ होगी। इस योजना की शुरूआत होने पर भारत में खाद्य सुरक्षा को बल मिलेगा। इस योजना को जारी होने पर अन्न भंडारण क्षमता में इजाफा होगा। वर्तमान में भारत के अंतर्गत अनाज भंडारण की क्षमता 1450 लाख टन है। जो कि फिलहाल बढ़कर 2150 लाख टन हो जाएगी।

हर एक ब्लॉक में गोदाम स्थापित किए जाऐंगे

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस लक्ष्य को हांसिल करने के लिए 5 साल का वक्त लग जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार पांच साल में 1 लाख करोड़ रुपये का खर्चा करने वाली है। योजना के अंतर्गत भारत के हर एक ब्लॉक में गोदाम स्थापित किए जाऐंगे। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के मुताबिक, यह योजना सहकारिता क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा अन्न भंडारण कार्यक्रम है। इस योजना से भारत में रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। इसके अतिरिक्त फसल की बर्बादी भी रुकेगी। यह भी पढ़ें: भंडारण की समस्या से मिलेगी निजात, जल्द ही 12 राज्यों में बनेंगे आधुनिक स्टील गोदाम

खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी

केंद्र सरकार के अनुसार, सहकारिता क्षेत्र में गोदाम के अभाव के चलते अन्न की बर्बादी ज्यादा हो रही है। अगर ब्लॉक स्तर पर गोदाम निर्मित होंगे तो अन्न का भंडारण होने के साथ-साथ ट्रांसपोर्टिंग पर आने वाली लागत भी कम आएगी। योजना के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। फिलहाल, भारत में प्रत्येक वर्ष 3100 लाख टन खाद्यान्न की पैदावार होती है। लेकिन, सरकार के पास केवल उत्पादन के 47 प्रतिशत भाग को भंडारण करने की ही व्यवस्था है। जो कि इस योजना के आने के उपरांत ठीक हो जाएगी।